जिस बाग में रौनक थी,
आज वो खाली है
वो एक कमरा जहाँ सौ-सौ मुस्कानें थी,
आज वो खाली है।
“बच्ची”-
उस आवाज़ ने पुकारा…
मुड़कर देखा तो जाना
अब मेरी झोली खाली है।
अब ना वो प्यारी सी मुस्कान है,
ना वो रौनक है।
वक्त ने अपनी चाबुक को कुछ यूँ घुमाया
की ये आँखें तरस जाती हैं उस एक चेहरे के लिए।
यूँ की अब भी वक्त है
समेट लो उन लम्हों को पलकों में,
रोक लो उस एहसास को आँचल में,
क्योंकि एक दिन सिर्फ यादें होंगी,
उन यूँ ही मोतियों से भीगी पलकों में।
Lovely 💕 For me she will remain alive and always amidst us showering her blessings
Lovely Blog
Thanks for the lovely comment